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________________ विण्णाण, विज्जाण, विणाय विब्बोअ विअणा. विआण विरिंच विलया विवज्जय विवचिआ विसढ विसाह विसिह विहावरी बिहु विम्हरिअ बिहु बिम्हरिअ • वीइ वीसत्थ वीसंत वैककन्त - वुट्ठि वृत्तरत येअ मुनि कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥ - वेडस, वेडि वेडुज्ज, वेरुलिय वेणु, बेलु समण वोम वोलीण वोसट्ट स, साण सह, सया विज्ञान विज्ञात विब्बोक वेदना बितान विरचि वनिता विपर्यय पुं० विपंचिका स्त्री० विषम विशाख . विशिख विभावरी विधु विस्मृत विधु विस्मृत वीचिं 'विश्वस्त विश्रान्त व्युत्क्रान्त वृष्टि वृत्तान्त वेद. वेग वेतस बैदुर्य वेणु वैश्रमण वि० पुं० श्वन् सदा स्त्री० न० पुं० स्त्री० वि० c.jpg.pn पुं० पुं० स्त्री० ক वि० पुं० वि० पुं० by dio do to वि० वि० वि० स्त्री० पुं० *59*9.9.59 न० व्योमन् अतिकान्त वि० विकसित वि० पुं० अ० विज्ञान जाणेलुं विलास पीडा चन्दरवो ब्रह्मा स्त्री बदलं वीणा विषम गणेश बाण रात्री चन्द्र भूलेलु चन्द्र भूलेलुं तरङ्ग (२९) विश्वासु थाकेल उलंघेल वरसाद समाचार वेद, वेग, नेतर बेडवरत्न वांसो कुबेर आकाश गएल विकसेल कुतरो हमेशा
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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