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________________ ॥ मुनि कस्तूरविजयधिनिर्मिता ॥ . (४९) ... पाय प्राकृत जेम भु शद भ्रम् । झम्प झर झर झंख कथ छिद वि- लपू उपा-लम्भू . निः- श्वस . भ्रम् ध्या झंट छिद् झुण : प्राकृत संस्कृत ड गुप णब्ध মা णिआर णिउडू मज्ज णिरुचल क्षर . णिउचर णिछल्ल णिज्झर . क्षि णिज्झोड णिटुअ. णिठुह वि-गल णिठुह कृ णिम नि-अस् णिम्मह णिरणास नश णिरिणज्ज .णिरिग्य नि-लीङ् णिरिणास पिष् णिरिणास गम् जिल्लस उत्-लम् णिलीय नि-- ली णिलुक्क णिलुक्क जिल्लुंछ जिल्लूर णिवह टिरिटिल्ल भ्रम् टिविडिक्क मण्ड ठ उत्-स्था ठा : स्था गम् पिष् डल्ल डिम्म पिब श्रम ढण्ढोल ढण्डल्ल गवेष भ्रम् - ढंस . वि-धृत ढिक्क गर्न । ढंदुल्ल गवेष दुण्दुल्ल . भम् तुम ... " णिवह णिवह णिव्वल णिव्वड णिव्वर PARAN
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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