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॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
॥ ह्यस्तनभूत ॥ एकव० बहुव० । झुणी अई अ, झुणीई अ, झुणिज्जई अ, झुणिज्जीअ.
भ० म० उ०
|| परोक्ष तथा अद्यतन ॥
एकष० बहुव० } झुणीअ.
प्र० म० उ०
॥ क्रियातिपत्तिः ॥
एकव० बहुव० ) झुणेज्ज (ज्जा ), झुणन्तो, झुणमाणो.
}
प्र० म० उ०
॥ बुहुक्ख ( भुज-बुभुक्ष्यते ) ॥
एकव ०
प्र० बुहुक्खी अइ, बुहुक्खी अए, बहुक्खिज्जइ, बुहु क्खिज्जए.
(२१७)
बहुव ०
बुहुक्खी अन्ति, बुहुक्खीअन्ते, बुहुक्खीइरे.
बहुविखज्जन्ति, बहुक्खिज्जन्से, बहु क्खिज्जिरे.
म० बुहुक्खीअसि, बुहुक्खी असे. बहु क्खिज्जसि, बुहुक्खिज्जसे
बुहुक्खीइत्था, बुहुक्खी अह, बुहुक्खिज्जित्था, बुहुक्खिज्जह बुहुक्खीअमो, बुहुक्खीआमो,
उ० बुहुक्खी अमि, बुहुक्खीआमि,
बुहुक्खिज्जमि, बुहुक्खिज्जामि, बुहुक्खीइमो, बुहुक्खी एमो.
बुहुक्खी अमु, बुहुक्खी आम्मु, बुहुक्खीइसु, बुहुक्खीएसु.