SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संस्कृत सिच स्निह सिच सिधू घेल्ल रम् सिन् स्पृह कांक्ष स्म भञ्ज् ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ प्राकृ संस्कृत प्राकृत वेलव वञ्च सिञ्च सिम्प वेलप . उपा- लम्भ सिप्प वेलव স্ব सिभ्य सिठव घेहव वञ्च सक्क আন্ধু सिह सद् सिह सीस सन्दुम प्र-दीप सन्दाण. कृ. सुण सन्धुक्क ,, दीप् सुमर सम्नाम अङ्-दृङ् सुव्व सन्नुम सूड समाण सम्-आप् सोल्ल समाण भु समार समा-रच सोल्ल सेह संखुड रम् हक्क सघकथ संभाव लुभ हक्खुष हण सवेल्ल . मं- वेष्टः सलह श्ला सव्वव . दृश हव सह . राज् साअड्कृ ष् हारव सामग्ग हीर प्रति- ईक्ष प्र- ह सारव समा-रच साह साहट्ट स- वृ साहर अस सिज्ज सिध् ॥ इति प्राकृतधातुकोशः ।। पच् क्षिप् नश नि- सिध् उद्-क्षिप् . भू मृज क्षिप् None or सि स्विद मिजा
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy