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________________ (१२) छत्त छप्पय छिहा छीर छुरिआ छुहा छोह ज जइ नउ जकूख जडो जणअ जणंगम जणणी जंत जन्तु जन्न जंबुद्दीव जत्त जम जम्म जय जरई जलण जलहत्थि जलहर जस जह, जहा, जहण जहि जह, जत्थ - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥ छत्र षट्पद स्पृहा क्षीर क्षुरिका क्षुधा-सुधा, क्षोभ यत् यति, यदि जतु यक्ष जटा जनक जनजम जननी यन्त्र जन्तु यज्ञ जम्बूद्वीप यत्न यम जन्मन् जगत् जरती ज्वलन जलहस्ती जलधर यशस् यथा जघन यत्र न० पुं० , is by t स्त्री० न० स्त्री० स्री०. पुं० वि० 19 ht .b न० पुं० स्त्री० 6. 69. पुं पुं स्त्री० न० by p न० स्त्री० पुं० अ० न० अ० छत्र भमरो इच्छा दुध छरी भूख, अमृत खोभ 45 साधु, जो; लाख यक्ष जटा बाप चंडाल माता यंत्र जीव यज्ञ द्वीपनु नाम छे मेहनत यम जन्म संसार डोसी वृद्धा अग्नि जलहाथी समुद्र, मेघ यश जेम * साथल ज्यां
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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