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________________ स्थिर स्त्री स्त्री मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ।। woooooooooooooo o wwwwwwwwwwwwwwwwwwer थव, थवण, स्तव, स्तवन स्तुति थाम स्थामन् न० बल,तेम थावर स्थावर स्थावर थिर वि० स्थिर त्री स्तुति स्त्री० स्तुति थूण थेण स्तेन पुचोर स्थविर पु० . वृद्ध थोर स्थूल वि० जाडु दइअ. दयित पुं० धनी, स्वामी दइवज, दइवष्ण, दैवज्ञ : दइच्चगुरु दैत्यगुरु पु० शुक्र दंसण दर्शन न० दर्शन दक्ष ' वि. होशिआर दक्खिण,, दाहिण,, दक्षिण . वि० होशिआर दड्ढ बलेलु दणु राक्षस देडको दप्पण दपण आरिसो दरिद्र दविण द्रविण दसण दशन दांत दशमुह पुं० . रावण दहि दधि न० दही दाणव दानव पुं० . राक्षस दालिमि, दालिम, दाडिमि. दाडिम खीपु० दाडिम दाढा दंष्टा स्त्री० दांत दानी इदानीम् अ हमणा दाम दामनू न० माला दावग्गि, दवग्गी दावाग्नि पुं दावानल of this is a re the जोषी दग्ध दनु दर्दुर , दरिद निर्धन 2
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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