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________________ || अहम् ॥ ॥ श्री शङ्केश्वरपार्श्वनाथाय नमः ॥ ** AGO **40*6*4Y ॥ धातुरूपमाला ॥ Ra *** ARO KO * HED ONE ॥ वर्तमानकालना प्रत्यय ॥ एकव. बहुव० प्रथम पु० इ, ए, · . . न्ति, न्ते, इरे. मध्यम पु० सि, से, इत्था , ह. उत्तम पु० मि, मो, मु, म. . नियमो १. 'जे धातुने अन्ते व्यअन होय तेने 'अ' लगाडवामां आवेछे. २. . धातुने अन्ते 'अ' होय तो ते अकारथी परज 'ए' 'से' .. प्रत्यय थायछे अकारान्त भिन्नथी पर आ प्रत्यय यता नथी. ३. ३ मि' प्रत्यय परछता पूर्वना 'अ' नो 'आ' विकल्पे थायछे... - १॥ व्यञ्जनावदन्ते ॥ ४ ॥ २३९ ॥ भनेन व्यञ्जनान्ताद्धातोरन्तेऽकारी भवति । २॥ अत एषैचू से ॥ ३ । १४५ ॥ अकारान्तादेव प. से, प्रत्ययो भवतः ॥ ३॥ मौ वा ॥ ३ । १५४ ॥ अदम्तादातोमौं परे अत आत्वं वा भषति ॥
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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