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॥ प्राकृत नियममाला ॥
(२७५)
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बम्हा .
(१०] 'श्म, म, स्म, मनो म्ह', अने 'श्म, ष्ण, स्न, हू, हण,
क्ष्ण, नो ण्ह', 'हू नो लह', थाय छे, स० प्रा०
सं० प्रा० (इम) कुश्मानः, कुम्हाणो. (स्न) ज्योत्स्ना, जोण्हा. (ज्म) ग्रीष्मः, गिम्हो. (ह्न) वह्निः, वण्ही . (स्म) अस्मादृशः. अम्हारिसो, (ह) पूर्वाहणः, पुव्वण्हो. (म) ब्रह्मा..
(ण) तीक्ष्णम्, तिण्हं. (न) प्रश्नः, पण्हो. (ल्ह) कहारम, कल्हारं. (ण) विष्णुः विण्हू. (ल्ह) प्रह्लादः पल्हाओ (११.) द्र, ना र, नो अने ज, ना अ, नो लोप विकल्प थाय छे. सं० प्रा०
सं० प्रा० (द्र) चन्द्रः, चन्दो चन्द्रो. (ज्ञ) सर्वज्ञः, सव्वज्जो,सवण्णू (प्र) रुद्रः, रहो, रुद्रो. (ज्ञ) प्रज्ञा, पज्जा, पण्णा. (१२) , श्री, ही, ना. संयुक्त व्यञ्जनना अन्त्य व्यञ्जन नी पूध इ मुकाय छ, तथा श, ष, मांइ धिकल्पे आवे छे, अने संयुक्त व्यञ्जननो बीजो अक्षर ल, होय तो प्रायः इ मुकाय छे, अने छ मां संयुक्तव्यजननो विकल्पे व्यत्यय थायछे. - सं० प्रा०
सं० प्रा० (है) गर्दा, गरिहा. (ष) वर्षम्, परिसं. वासं (श्री) श्रीः, . सिरी.. (ल) क्लिन्नम्, किलिन्नं (ही)-हीः, हिरी. (ल) म्लानम्, मिलाणं. (0) आदर्शः, आयरिसो.आयसो (घ) गुह्यम्, गुय्हं, गज्झं (१३.) छट्ठा नियम प्रमाणे वर्गीय बीजा तथा चोथा अक्षर
नो द्वित्व थये छते ते संयुक्तव्यञ्जन ना पहेला अक्षरने स्थाने • यथाक्रमे ते वर्गनो पहेलो तथा धर्गीय त्रीजो मुकाय छे. (एटले .