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________________ moonam खन् लिह बन्धु ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (४३) हन् हम्म, हण, मारवु,नाशकरवू खम्म, खण खोद, दुइ दुब्भ, दुह दोहवं, पूर्णकरवू लिभ, लिह, चाटवू वह वुष्भ, वह, वहन करवु; लइ जवू मब्भ, रुन्ध, रोकवू दा दहनकरवु,बालवु बज्झ, बन्ध, बांधq गम् गम्म, गम, गमन करवू,जवू हस्स, हस, हस, भण भण्ण, भण, भणवू छुप्प, छुप, छुपावQ रुव्व, रुव रोवू लब्भ, लह, लाभ थवो, कथ कत्थ, कह कथनकरवुकहेवू भुज् भुज्ज, भुञ्ज, भोगवq हीर, हर, .. हरण करवु, लइ जQ कीर, कर, करवू . तीर, तर; तर . जीर, जर जीणं थq, घरडा थQ विठप्प, विठव, अज्ज . कमाव, णव्य, णज्ज; णा, जाणवू आ-र आढप्प, आढव, आरम्भकरवो शरु करवु स्निह ... स्नेह करवो सिच् . .. सिप्प, सेक करवो, सिञ्चन करवू ग्रह घेप्प, गिण्ह, ग्रहण कर, स्पृश छिप्प, छिव. स्पर्श करवो. ॥प्रेरकधातवः॥ णुम, नूम, सन्नूम, ढक्क, ढाक, ओम्वाल. पव्वाल, छाय निहोड, निवार. अटकावळू to tou lewe tour अर्जः .. झा, सिप्प,
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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