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॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
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एकव.
बहुव० प्रथम० म० उ० गासी, गाही, गाहीअ.
. ॥कियातिपत्तिः॥ एकव०
. बहुव० १० म० उ० गाज, गाजा, गान्तो, गामाणो.
१ जे धातुने अन्ते अ सीवाय कोइ स्वर होय ते धातुने अन्ते पुरुष
बोधक प्रत्ययनी पूर्व अकार आगम विकल्पे मुकवामां आवे छे. यथा-(भा ) भाअइ पक्षे भाइ ( या ) जाअइ जाइ, (पा) पाअइ, पाइ, ( ध्यै ) झाअइ, झाइ. (धा ) धाअइ, धाई, (उद्वा) उचाइ, उचाइ. (म्ला ) मिलाअइ, मिलाइ, (विक्री ) विक्केअइ, विक्केइ, २ वर्तमान भविष्यत् तथा विध्यर्थ अने आज्ञार्थमा स्वरान्त धा
तुथी पर प्रत्ययोनी पूर्व तथा प्रत्ययोने स्थाने ज, जा. आदेश विकल्पे मुकवामां आवे छे.
.. 'भू' हो वर्तमान, एकव.
बहुव० प्रथम० होज्जइ,होजाइ, होजन्ति,होज्जन्ते,होजिरे,
होज, होजा. होज, होजा. १ स्वरादनतो वा ॥ ४ ॥ २४० ॥ २ मध्ये च स्चरान्ताद् वा ॥ ३ ॥ १७८ ॥