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। मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥ (१५१) एत्व थाय त्यारे होई एइ, होइज्जेइ इत्यादि रूपो पण थायछे.
भविष्यत् काल. यथा-होहिइ, होहिन्ति, होहिन्ते, होहिरे इत्यादि शेष कर्तरिवत् ॥
विधि-आज्ञार्थ, एकव०
बहुव० प्रथम० होईअउ, होइज्जउ, होईअन्तु, होइज्जन्तु, मध्यम होई अहि, होई असु, होईअह, होइज्जह,
होइज्जहि, होइज्जसु, उत्तम होई अमु,होई आमु,होईइमु, होई अमो,होई आमो,ह ईइमो,
होइज्जमु, होहज्जामु, होइजमो, होइन्जामो,होइज्जिमो, .: होइज्जिमु. . आज्ञार्थमा एत्व थाय त्यारे होईएउ, होइज्जेउ आदि पण थाय छे.
ह्यस्तनभूतकाल एकव०
बहुव० प०म० उ० होईअसी; होईअही, होई अहीअ,
होइज्जसी, होइज्जही, होइज्जहीअ, परोक्ष, तथा अद्यतनमां तो कतरिवत् जेम होसी, होही, होहीअ,
क्रियातिपत्तिः कर्तरिवत् . प्र०म० उ० होज्ज, होज्जा, होन्तो, होमाणो,