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(३०) ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ तृ० च० ५० ५० स० सं० महु प्रमाणे
भन्छन्
जकारान्तपुल्लिङ्ग. .. प्रत्ययो. .
इस्व उकारान्तपुल्लिङ्गममाणे..
नियमो- दीर्घऊकारान्तपुल्लिङ्ग नामो प्राकृतमां. इस्वथइ
जाय छे, अने तेना रूपो इस्व उकारान्तपुल्लिङ्ग जेवा थाय छे. संबोधनना एकवचनमा उ इंस्व ज रहे छे. ,
खलपू.
एकव०
बहुव० प्र० खलपू.
खलपवो, खलपउ, खलपओ, ख
लपुणो, खलपू. द्वि० खलपु.
खलपुणो, खलपू. तु. खलपुणा,
खलपूहि, खलपूहिँ, खलपूहि. च० खलपुणो, खलपुस्स. खलपूण, खलपूर्ण. ५० खलपुणो,खलपुत्तो, खल- खलपुत्तो, खकपूओ, खलपूर,
पूभो,खलपूउ,खलपुहिन्तो. खलपुहिन्तो, खलपूंमुन्तो,