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________________ न० कामदेव अंसु (२). मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ wovvvwoooooooooooooooooooooooooooooooowwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww अज्ज अध अ. आज अज्जा स्त्री०. साध्वी आर्या अज्जु आर्या स्त्री० सासू अट्टि अस्थि अणंग ..... अना अणुअर अनुचर सेवक . अणुठ्ठाण अनुष्ठान विधि अण्ण अन्य बीजू अण्णयर अन्यतर वि० . बेमांथी एक अंतेउर अन्तःपुर न० अन्तःपुर . अंतेवासि अन्तेषासिन् वि० शिष्य अंब आम्र न० केरी अश्रु-अंशु न०-० . आंसु-किरण अंसु अंशुक न० वन अक्क अर्क पुं० सूर्य-आकडो কুত্ত अक्ष इन्द्रिय अग्गओ अग्रतः आगळ अच्चस्थ अत्यर्थ • घणु अद्धाण अध्यन मार्ग अन्धआर अन्धकार न०पू० अधारू अप्पवस आत्मवश वि० स्वाधीन अप्प आत्मन् आत्मा अल्प अबुह अबुध अब्भअ अभक . बालक अब्भ अभ्र मेघ अभिडिअ . संगत . अब्भास अभ्यास अभ्यास-पांसे अमच्च अमात्य मन्त्री अमरावई अमरावती इन्द्रनगरी . भमय अमृत अमृत वि० ६० थोडं अप्प "gadge मळेलु बी.
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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