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________________ स्व लिए .. मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ आक्षिप् णीरव, अक्खिव, णारच, आक्खव, आक्षेप कर उत्-क्षिप् गुलगुञ्छ,उत्थंघ,अल्लत्थ, उंचु फेकQ उठभुत्त,उस्सिक्क,हक्खुव, उक्खिव कमवस,लिस,लोट्ट,सुअ, सू वु वेप् आयम्ब, आयज्झ, वेव ध्रुजवं, कम्प वि-लए झंख, वडवड,विलव . विलाप करवो ठपको आपयो,बोलवू लिम्प लिम्प गुप् . विर,णड,गुप्प व्याकुल थर्बु कुप कुप्प कोप करवो कृप् (नामधातु) अवहाव कृपा करवी प्र-दीप तेअव,सन्दुम,सन्धुक,अब्भुत्त, देदीप्यमानथवू पलीव, संभाव, लुम्भ, लोभकरचो, क्षु खतर, पड्डुह, खुब्भ क्षोभपामयो, आ-रभ् रभ्भ, ढव, आरम्भकर, उप-आ-लम्भ झंख,पच्चार,वेलब,उवालम्भ ठपको आपयो जृम्भ जभ्भा विकस्वरथवु,बगासु. खावु, नमवू वि-ज़म्भ विअम्म विज़ंभथएँ, विकस्वरथq नम् णिंसुढ, नव, भारेकरीने नीचा नमवू, नम् नष नमस्कारकरवो, वि-श्रम् . णिव्वा, विसम, विश्रामकरवो, आक्रम् .. ओहाव, उत्थार, छुन्द, आक्रमणकर, अक्कम्म, उंचेआवq, टिरिटिल्ल,ढुण्दुल्ल,ढण्ढल्ल, भमवं चक्कम्म,भम्मड,भमड,भमाड, तलअण्ट,झण्ट,झम्प,भुम,गुम, फुम,फुस,ढुम,ढुस,परी,पर, भम, अई,अइच्छ,अणुवज्ज,अवज्जस, जर्बु,गमनकरवू, उक्कुस,अक्कुस,पच्चड्ड,पच्छ भ्रम्
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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