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________________ (१८) दोवयण दोहल धअ धती, धाई, धारी धंत धण धणि धणवइ धणु. धणुह धन्न धम्म धयरठ्ठ धिज धूआ धेणु न नई नक्क नकूखत्त नकूख, नह नच्चई नयण नयरी मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥ द्विवचन दोहद ध्वज धात्री ध्वान्त नरनाह नरिन्द नरय नव धन धनिन् धनपति धनुष् धान्य धर्म धातैराष्ट्र धैर्य दुहितृ. धेनु न नदी नक्र नक्षत्र नख नर्त्तकी नड नणंदा नंदण नम्म नमुक्कार, नमोक्कार नमस्कार नमो नट. ननान्दु नन्दन नर्म नमस् नयन नगरी नरनाथ नरेन्द्र नरक नवन् न० पुं० स्त्री० स्त्री० 딩 न० पुं० न० न० पुं० पुं० न० स्त्री० स्त्री० अ स्त्री० 영희영 영 पुं० स्त्री० न० 딩 पुं० अ० ᄋ स्त्री० Dog. 69.69. पुं० द्विषचन डोलो पताका धाइ माता अन्धकार धन पैसादार कुबेर धनुष् अनाज धर्म हंस धीरता दिकरी गाय निषेध नदी मगर नक्षत्र नख नाव करनारी नाचनार नणन्द नन्दन वन हास्य नमस्कार नमस्कार आंख नगरी राजा राजा नरक संख्या
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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