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________________ मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ।। merowoooooooo र पअप्पभिड ओज्याय ओसढ ओतह का कउहा कथंधु . दिशा. कर्कन्धु वि० कांख . काचबो कक्खा कच्छह कच्छा . कंटय कंदप्प पु०. . पु० कंबु शंख कण्ण एतस्मभूति अ० अने थीमांडीने उपाध्याय पुं० उपाध्याय औषध दवा कपि वानर . ककुभ स्त्री० स्त्री० बोरनुं वृक्ष कर्कश कठण कक्षा स्त्री० कच्छप कच्छा स्त्री. कन्दोर कन्टक कांटो . कन्दर्प कामदेव कम्बु - पु . कर्णन , कान कृष्ण . ० . कृष्ण क्यांथी स्त्री० कस्तूरी कन्या - स्त्री० , बालिका कर्पूर - पुं० कर्पर कल्पपादप पुं० कल्पवृक्ष पग, परिपाटी कर्म कल्मष पाप. कृतज्ञ कदा क्यारे करिन् करिणी स्त्री० करेणु पु० स्त्री० हस्ती-हस्तिनी करीषाग्नि पुं० छाणानो अनि कदम्ब पु० कदम्बनु झाड पलधौत . न. कुतः कण्ह कत्तो कत्यूरी कन्ना कप्पूर कप्पपायक कम अ० कमः । कृतज्ञ अ० पुं० कम्मस कयण्णु कया करि करिणी करेणु करिसग्गि कलंब कलहोय हाथी हस्तिनी
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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