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- ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ . ॥प्राकृतधातूनामनुक्रमणिका ॥
लिप
दृश
रच
कृष
प्राकृत. संस्कृत अइच्छ गम् अई गम् अक्कुस अक्ख दृश अक्खोड कृष अग्घ राज अंगुम अग्घाड पूर अग्घव अच्छ. आस अञ्च कृष अट्ट क्वा अट्ट अट् अडक्ख क्षिप् अणच्छकृष् अग्रह भुजू अणुवज्ज गम् अत्थि. अस् अप्पाह सं-दिश अभिड सं-गम् अब्भुत प्र-दीप् अब्भुत स्ना अयंच्छ कृष् अवअच्छ अधआस दृश अवअक्ख , अधक्ख ,
प्राकृत. संस्कृत अवज्जस गम् अवयच्छ अवयास अवयज्झ अणुवज्ज
गम् अवह अवहर गम् अवहर नश अवहाव अवहेड . मुच अवसेह गम् अवसेह नश आवुक्क वि-ज्ञप् अल्लिव अपि अल्लिअ उप-वृष् अल्लत्थ उत्-क्षिप अल्ली आङ्-लीङ् अहिऊल दह अहिपच्चुअ आङ्-गम् अहिपच्चुअ ग्रह अहिरेम पूर अहिलंघ कांक्ष अहिलंक्ख , अंगुम पूर आअड व्याआइग्घ आङ्घ्रा आइच्छ कृष्
हाद्