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रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् । [ सर्वविशुद्धज्ञानसमन्वज्ञासिषं मनसा च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति २२ यदहमकार्ष · यदचीकरं वाचा च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति २३ यदहमकार्ष यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं वाचा च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति २४ यदहमचीकरं यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं वाचा च तन्मिथ्या मे दुष्कृतं २५ यदहमकार्ष यदचीकरं कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति २६ यदहमकार्ष यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतं २७ यदहमचीकरं यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं कायेन तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति २८ यदह
वचनकायद्वयमिति द्विसंयोगेन भंगत्रयं जातं । मनोवचनकायत्रयमिति च त्रिसंयोगेनैको भंग इयमपि सप्तभंगी । कृतं मनसा सह, कृतं वाचा सह, कृतं कायेन सह, कृतं मनोवचनद्वयेन सह, कृतं मनःकायद्वयेन सह,कृतं वचनकायद्वयेन सह,कृतं मनोवचनकायत्रयेण सहेति कृते निरुद्धे
हो । यह बाईसवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना ये दो लिये और एक मन लगा इसलिये इकईसकी समस्यासे इकईसका भंग नाम है । २२ । २१ । जो मैंने पापकर्म अतीतकालमें किया और अन्यको प्रेरकर कराया वचनकर, वह मेरा पापकर्म मिथ्या हो यह तेईसवां भंग है । इसमें कृत कारित ये दो लिये और वचन एक ही लगा उसका दूआ एका ऐसे इकईसकी समस्यासे इकईसका भंग कहना । २३ । २१ । जो मैंने पापकर्म अतीतकालमें किया और अन्य करते हुएको भला जाना वचनकर, वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह चौवीसवां भंग है । इसमें कृत अनुमोदना ये दो लिये और एक वचन ही लगाया इसलिये इकईसकी समस्यासे इकईसका भंग कहना । २४ । २१ । जो पापकर्म मैंने अतीतकालमें अन्यको प्रेरकर कराया और करते हुए अन्यको भला जाना वचनकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह पच्चीसवां भंग हुआ। इसमें कारित और अनुमोदना ये दो लिये और एक वचन ही लगा इसलिये इकईसकी समस्यासे इकईसका भंग हुआ। २५ । २१ । जो पापकर्म मैंने अतीतकालमें किया और अन्यको प्रेरकर कराया कायकर, वह मेरा पापकर्म मिथ्या हो । यह छवीसवां भंग है । इसमें कृतकारित दो लिये और एक काय लगाया इसलिये इकईसकी समस्यासे इक ईसका भंग कहना । २६ । २१ ॥ जो पापकर्म अतीतकालमें मैंने किया और अन्य करतेको भला जाना कायकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह सत्ताईसवां भंग है । इसमें कृत अनुमोदना दो लिये और एक काय लगा इसलिये इक्कीसकी समस्यासे इकईसका भंग नाम कहा । २७ । २१ । जो पापकर्म मैंने अतीतकालमें अन्यको प्रेरकर कराया और अन्य करते हुएको भला जाना कायकर वह पापकर्म मेरा मिथ्या हो । यह अठाईसवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना ये दो लेकर एक काय लगाया इसलिये इकईसकी समस्यासे इकईसका भंग नाम है । २८।२१ । ऐसे इकईसके नौ भंग .