Book Title: samaysar
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Jain Granth Uddhar Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 515
________________ ५०२ रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् । [ सर्वविशुद्धज्ञानचेति २३ न करोमि न कुर्वतमप्यन्यं समनुजानामि वाचा चेति २४ न कारयामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुजानामि वाचा चेति २५ न करोमि न कारयामि कायेन चेति २६ न करोमि न कुर्वतमप्यन्यं समनुजानामि कायेन चेति २७ न कारयामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुजानामि कायेन चेति २८ न करोमि मनसा च वाचा च कायेन चेति २९ न कारयामि मनसा च वाचा च कायेन चेति ३० न कुर्वतमप्यन्यं द्धज्ञानचेतनाभावनारूपेण गाथाद्वयव्याख्यानेन कर्मचेतनासंन्यासभावना समाप्ता । इदानीं शुद्धज्ञानचेतनाभावनाबलेन कर्मफलचेतनासंन्यासभावनां नाटयति करोतीत्यर्थः । तद्यथा-नाहं कराता, अन्य करते हुएको भला नहीं जानता मनकर । यह बाईसवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना इन दोनोंपर एक मन लगा इसलिये इकईसकी समस्या हुई ।२२।२१। वर्तमान कर्मको मैं नहीं करता, अन्यको प्रेर नहीं कराता वचनकर । यह तेईसवां भंग है। इसमें कृतकारित इन दोनोंपर एक वचन लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई । २३ । २१ । वर्तमान कर्मको मैं करता नहीं हूं, अन्य करते हुएको अनुमोदता नहीं वचनकर । ऐसा चौवीसवां भंग है। इसमें कृत अनुमोदना इन दोनोंपर एक वचन लगाया । ऐसे इकईसकी समस्या हुई । २४ । २१ । वर्तमान कर्मको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराता, अन्य करतेको अनुमोदता नहीं वचनकर । ऐसा पच्चीसवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना इन दोनोंपर एक वचन लगाया इसलिये इकवीसकी समस्या हुई। २५ । २१ । वर्तमान कर्मको मैं नहीं करता, अन्यको प्रेरकर नहीं कराता काय कर। ऐसा छब्बीसवां भंग है । इसमें कृत कारित इन दोनोंपर एक काय लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई । २६ । २१ । वर्तमान कर्मको मैं नहीं करता, अन्य करते हुएको भला नहीं जानता कायकर ऐसा सत्ताईसवां भंग है । इसमें कृत अनुमोदना इन दोनोंपर एक काय लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई । २७ । २१ । वर्तमान कमको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराता, अन्य करते हुएको अनुमोदता नहीं कायकर । ऐसा अट्ठाईसवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना इन दोनोंपर एक काय लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई । २८ । २१ । ऐसे इकईसके नौ भंग हुए॥ वर्तमान कर्मको मैं नहीं करता मनकर वचनकर कायकर । ऐसा उनतीसवां भंग है । इसमें एक कृतके ऊपर मन वचन काय तीनों लगाये इसलिये तेरहकी समस्या हुई । २९ । १३ । वर्तमान कर्मको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराता मन वचन कायकर । ऐसा तीसवां भंग है । इसमें कारित एक पर मन वचन काय तीनों लगाये इसलिये तेरहकी समस्या हुई। ३० । १३ । वर्तमान कर्मको मैं अन्य करते हुएको अनुमोदता नहीं मनकर वचनकर कायकर ऐसा इकतीसवां भंग है । इसमें एक अनुमोदनापर मन वचन काय तीनों ल

Loading...

Page Navigation
1 ... 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590