Book Title: samaysar
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Jain Granth Uddhar Karyalay

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Page 537
________________ ५२४ रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् । शास्त्रं ज्ञानं न भवति यस्माच्छास्त्रं न जानाति किंचित् । तस्मादन्यज्ज्ञानमन्यच्छास्त्रं जिना विदंति ॥ ३९० ॥ शब्दो ज्ञानं न भवति यस्माच्छब्दो न जानाति किंचित् । तस्मादन्यज्ज्ञानमन्यं शब्दं जिना विदंति ॥ ३९१ ॥ रूपं ज्ञानं न भवति यस्माद्रूपं न जानाति किंचित् । तस्मादन्यज्ज्ञानमन्यद्रूपं जिना विदंति ॥ ३९२ ॥ वर्णों ज्ञानं न भवति यस्माद्वर्णो न जानाति किंचित् । तस्मादन्यज्ज्ञानमन्यं वर्णं जिना विदंति ॥ ३९३ ॥ गंधो ज्ञानं न भवति यस्माद्वंधो न जानाति किंचित् । तस्मादन्यज्ज्ञानमन्यं गंधं जिना विदंति ॥ ३९४ ॥ न रसस्तु भवति ज्ञानं यस्मात्तु रसो न जानाति किंचित् । तस्मादन्यज्ज्ञानं रसं चान्यं जिना विदंति ॥ ३९५ ॥ [ सर्वविशुद्धज्ञान जीवपर्यायैरपि सहाव्यतिरेको निश्चयसाधितो द्रष्टव्यः । अथैवं सर्वपरद्रव्यव्यतिरेकेण सर्वदर्शनादिजीवस्वभावाव्यतिरेकेण चातिव्याप्तिमव्याप्तिं च परिहरमाणमनादिविभ्रममूलं धर्माधर्मरूपं परमसमयमुद्यम्य स्वयमेव प्रव्रज्यारूपमापाद्य दर्शनज्ञानचारित्र स्थितिस्वरूपं स्वसमयमवाप्य मोक्षमार्गमात्मन्येव परिणतं कृत्वा समवाप्तसंपूर्णविज्ञानघनभावं हानोपादानशून्यं साक्षात्समयसारभूतं परमार्थरूपं शुद्धज्ञानमेकमेवावस्थितं द्रष्टव्यं । "अन्येभ्यो व्यतिरिक्तमात्मनियतं बिभ्रत्पृथग्वस्तुता 1 क्योंकि वचन अचेतन है इसलिये ज्ञानका और श्रुतका भेद है शब्द है वह ज्ञान नहीं है क्योंकि शब्द पुद्गलद्रव्यका पर्याय है अचेतन है इसलिये ज्ञानका और शब्दका भेद है । रूप ज्ञान नहीं है क्योंकि रूप पुद्गलका गुण है अचेतन है इसलिये रूपका और ज्ञानका भेद है । वर्ण है वह ज्ञान नहीं है क्योंकि वर्ण पुद्गलद्रव्यका गुण है अचेतन है इसलिये वर्णका और ज्ञानका भेद है । गंध ज्ञान नहीं है क्योंकि गंध पुद्गलद्रव्यका गुण है अचेतन है इसलिये गंधका और ज्ञानका भेद है । रस ज्ञान नहीं है क्योंकि रस पुद्गल द्रव्यका गुण है अचेतन है इसलिये रसका ज्ञानका परस्पर भेद है । स्पर्श ज्ञान नहीं है क्योंकि स्पर्श पुद्गलद्रव्यका गुण है अचेतन है इसलिये स्पर्शका और ज्ञानका भेद है । कर्म है वह ज्ञान नहीं है क्योंकि कर्म अचेतन है इसलिये कर्मका और ज्ञानका भेद है । धर्मद्रव्य ज्ञान नहीं है क्योंकि धर्म अचेतन है इसलिये धर्मद्रव्यका और ज्ञानका भेद है । अधर्मद्रव्य ज्ञान नहीं है क्योंकि अधर्मद्रव्य अचेतन है इसलिये 1 अधर्मद्रव्यका और ज्ञानका भेद है । कालद्रव्य ज्ञान नहीं है क्योंकि काल अचेतन है इसलिये कालका और ज्ञानका भेद है । आकाशद्रव्य ज्ञान नहीं है क्योंकि आकाश अचेतन है इसलिये ज्ञानका और आकाशका भेद है । अध्यवसान ज्ञान नहीं है क्योंकि I

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