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परिशिष्टम् ] समयसारः।
५५९ लोकाकाशसम्मितात्मावयवत्वलक्षणा नियतप्रदेशत्वशक्तिः । सर्वशरीरैकवरूपात्मिका स्वधर्मव्यापकत्वशक्तिः । विलक्षणानंतस्वभावभाविकभावलक्षणानंतधर्मत्वशक्तिः । तदतद्रूपमयत्वलक्षणा विरुद्धधर्मशक्तिः । तद्रूपभवनरूपा तत्त्वशक्तिः । अतद्रूपाऽभवनरूपा अतत्त्वशक्तिः । अनेकपर्यायव्यापकैकद्रव्यमयत्वरूपा एकत्वशक्तिः । एकद्रव्यव्याप्यानेकपर्यायमयत्वरूपा. अनेकत्वशक्तिः । भूतावस्थत्वरूपा भावशक्तिः । शून्यावस्थत्वरूपाऽभावशक्तिः । भवत्पर्यायव्ययरूपा भावाभावशक्तिः । अभवत्पर्यायोदयरूपाऽभावभावशक्तिः । भवत्पर्यायभवनरूपा भावभावशक्तिः । अभवत्पर्यायाऽभवनरूपाऽभावाभावशक्तिः । कारकानुगतक्रियाभिनिष्क्रांतभवनमात्रमयी भावशक्तिः । कारकानुगतभवखानुभूतिमात्रलक्षणेन स्वसंवेदनेन संवेद्यो गम्यः प्राप्यो भरितावस्थोऽहं । राग-द्वेष-मोह-क्रोधशरीरसे कुछ कम अवस्थित हैं ऐसी शक्ति है । सर्व इत्यादि । अर्थ-सब ही शरीरों में एक स्वरूप रहना यह स्वधर्मव्यापकत्वशक्ति पच्चीसवीं है । शरीरके धर्मरूप न होना और अपने धर्मों में व्यापना यह शक्ति है । वपर इत्या दि । अर्थ-अपने परके समानधर्म व असमान धर्म व समानासमान धर्म ऐसे तीन प्रकारके भाव धारण स्वरूप साधारणासाधारणसाधारणासाधारणधर्मत्व नामा छव्वीसवीं शक्ति है । विलक्ष इत्यादि । अर्थ-परस्पर भिन्न लक्षणस्वरूप जो अनंत स्वभाव उनकर मिला हुआ जो एक भाव वह जिसका लक्षण है ऐसी अनंतधर्मत्व शक्ति सत्ताईसवीं है । तद इत्यादि । अर्थ-तत्स्वरूप और अतत्स्वरूप उनमयपना जिसका लक्षण है ऐसी विरुद्ध धर्मत्वशक्ति अट्ठाईसवीं है । तद्रूप इत्यादि । अर्थ-तत्स्वरूप होना जिसका स्वरूप है ऐसी तत्त्वशक्ति उनतीसमी है, जो वस्तुका स्वभाव है उसे तत्त्व कहते हैं वही तत्त्वशक्ति है। अत इत्यादि । अर्थ-तत्स्वरूप न होने रूप अतत्त्वशक्ति तीसवीं है, जैसे चेतन जडरूप नहीं होता यह शक्ति है । अनेक इत्यादि । अर्थ-अनेक पर्यायोंमें व्यापक जो एक द्रव्य उसमयीस्वरूप एकत्वशक्ति इकतीसवीं है । एक इत्यादि । अर्थ-एक द्रव्यमें व्यापने योग्य अनेक पर्यायमयस्वरूप अनेकत्वशक्ति बत्तीसवीं है । भूता इत्यादि । अर्थ-होगये विद्यमान परिणामोंसे अवस्थितस्वरूप भावशक्ति है, यह तेतीसवीं है। शून्या इत्यादि। अर्थ-जिस परिणामका अभाव है उसके शून्यपनेसे अवस्थित स्वरूप अभावशक्ति है । यह चौतीसवीं है । भवत् इत्यादि । अर्थ-वर्तमान होनेवाली पर्यायके व्यय होनेरूप भावाभावशक्ति पैंतीसवी है । अभव इत्यादि । अर्थवर्तमान न होनेवाले पर्यायके उदय होनेरूप अभावभावशक्ति है । भवत् इत्यादि । अर्थ-वर्तमान पर्यायके होनेरूप (रहनेरूप) भावभावशक्ति है । अभ इत्यादि । अर्थ-न होनेवाले पर्यायके नहीं होनेरूप अभावाभावशक्ति है, यह अड़तीसवीं है । कारका इत्यादि । अर्थ- कर्ता कर्म आदि कारकोंमें अनुगत क्रियासे रहित जो