Book Title: samaysar
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Jain Granth Uddhar Karyalay

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Page 514
________________ अधिकारः ९] समयसारः । ५०१ मनसा च वाचा चेति १३ न करोमि न कारयामि मनसा च कायेन चेति १४ न करोमि न कुर्वंतमप्यन्यं समनुजानामि मनसा च कायेन चेति १५ न कारयामि न कुवैतमप्यन्यं समनुजानामि मनसा च कायेन चेति १६ न करोमि न कारयामि वाचा च कायेन चेति १७ न करोमि न कुर्वेतमप्यन्यं समनुजानामि वाचा च कायेन चेति १८ न कारयामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुजानामि वाचा च कायेन चेति १९ न करोमि न कारयामि मनसा चेति २० न करोमि न कुर्वंतमप्यन्यं समनुजानामि मनसा चेति २१ न कारयामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुजानामि मनसा चेति २२ न करोमि न कारयामि वाचा चाराद्भगा ज्ञातव्याः । इत्यालोचनाकल्पः समाप्तः । कल्पः पर्वपरिच्छेदोऽधिकारोऽध्यायः प्रकरणमित्याद्येकार्था ज्ञातव्याः । एवं निश्चयप्रतिक्रमण - निश्चयप्रत्याख्यान - निःश्वयालोचनाप्रकारेण शु | १३ | २२ | वर्तमान कर्मको मैं नहीं करता, अन्यको प्रेरकर नहीं कराता मनकर कायकर । यह चौदवां भंग है । इसमें कृतकारित इन दोनोंपर मन काय ये दो लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई । १४ । २२ । वर्तमान कर्मको मैं करता नहीं, अन्य करते हुएको अनुमोदता नहीं मनकर कायकर | यह पंद्रहवां भंग है । इसमें कृत अनुमोदना इन दोनोंपर मन काय ये दो लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई । १५ । २२ । वर्तमान कर्मको अन्यको प्रेरकर मैं कराता नहीं, अन्य करतेको अनुमोदता नहीं मनकर कायकर । यह सोलवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना इन दोनोंपर मन काय ये दो लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई । १६ । २२ । वर्तमान कर्मको मैं करता नहीं, अन्यको प्रेर कराता नहीं वचनकर कायकर । यह सत्रहवां भंग है । इसमें कृतकारित इन दोनों पर वचन काय ये दो लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई । १७ । २२ । वर्तमान कर्मको मैं नहीं करता, अन्य करते हुएको भला नहीं जानता वचनकर कायकर । यह अठारवां भंग है । इसमें कृत अनुमोदना इन दोनोंपर वचनकाय ये दो लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई । १८ । २२ । वर्तमान कर्मको मैं अन्यको प्रेर नहीं कराता, अन्य करते हुएको अनुमोदता नहीं वचनकर कायकर । यह उनईसवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना इन दोनों पर वचनकाय ये दो लगाये इस लिये बाईसकी समस्या हुई । १९ । २२ । ऐसे बाईस की समस्या के नौ भंग हुए || वर्तमान कर्मको मैं करता नहीं, अन्यको प्रेर कराता नहीं मनकर । यह वीसवां भंग है । इसमें कृतकारित इन दोनों पर एक मन लगाया इसलिये इक्कीसकी समस्या हुई । २० । २१ । वर्तमान कर्मको मैं नहीं करता, अन्य करते को भला नहीं जानता मनकर | यह इकईसवां भंग है । इसमें कृत अनुमोदन इन दोनोंपर एक मन लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई । २१ । २१ । वर्तमान कर्मको अन्यको प्रेर मैं नहीं 1

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