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३५ असंकिलिछेहि समं वसेज्जा। __ क्लेश न करने वालों के साथ रहो। ३६ सुत्ता अमुणिणो मुणिणो सया जागरंति ।
असंयमी जागकर भी सोते हैं और संयमी सोकर भी जागते
३७ कडेण मूढो पुणो तं करेइ।
बुराई को वह दोहराता है, जो एक बार बुराई कर चुका।
अर्हत्-वाणी
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