Book Title: Yogakshema Sutra
Author(s): Niranjana Jain
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 169
________________ चतुष्कोण १ भगवान् के भजन से चार बातों की प्राप्ति-१. भगवान् के ऐश्वर्य का अनुभव । २. तात्कालिक अर्थात् दृष्ट दुःख का अभाव । ३. रजोगुण तमोगुण का अभाव और ४. आनन्द की प्राप्ति अर्थात् जन्म-मरण का अभाव। २ चार बातें बाहर न करें-१. धन का अभाव । २. मन की व्यथा। ३. घर का अनाचार । ४. अपमान भरे शब्द । ३ दैनिक जीवन के चार नियम-१. सोते समय दिमाग पत्ते से भी हल्का रहे। २. प्रातः जल्दी उठना। ३. सात्विक भोजन करना । ४. योगासनों का अभ्यास । ४ सौभाग्य-लक्ष्मी के निवास में चार आधार अपेक्षित-१. परिश्रम में रस । २. दूरदर्शी निर्धारण । ३. धैर्य और साहस । ४. उदार सहकार। ५ चार बातों से मनुष्य दूसरों के विद्यमान गुणों को अस्वीकार करता है--१. क्रोध से । २. दूसरों की पूजा-प्रतिष्ठा सहन न करने से । ३. कृतज्ञता का अभाव होने से। ४. मिथ्या आग्रह से। ६ सज्जन पुरुषों के घर में इन चार बातों का कभी अभाव नहीं होता—१. तृण । २. भूमि। ३. जल। ४. मधुरवाणी। ७ जोवन में इन चार बातों को याद रखें-१. खाने को आधा करो। २. पानी को दूना। ३. कसरत को तिगुना । ४ हंसना चौगुना करो। ८ शरीर-शुद्धि करने वाले मुख्य चार अवयव हैं-१. फेफड़े, २. त्वचा, ३. गुर्द, ४. आंते । ६ स्वास्थ्य के सामान्य चार नियम हैं-१. भोजन के बाद सौ कदम शान्त भाव से चलना । २. बाईं करवट सोना । ३. ब्रह्म योगक्षेम-सूत्र १५२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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