Book Title: Yogakshema Sutra
Author(s): Niranjana Jain
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 200
________________ न करें ! १ पहले से पहने हुए वस्त्र ही पहने रहकर भोजन न करें दूसरों द्वारा पहने वस्त्र या अन्य पदार्थों का सेवन न करें । २ अनजान मार्ग पर रात में न जाएं। में न जाएं। किसी के भी यहां जाएं । पराये मकान में अन्धेरे ज्यादा या बेजरूरत न I ३ पूछे बिना राय न दें । अपने से बड़ों का अपमान व छोटों की उपेक्षा न करें । ४ किसी के पीठ पीछे उसकी निन्दा न करें । ५ स्नेह (चिकनाई ) रहित भोजन न करें, अतिमात्रा में भोजन न करें, प्रात: और सायंकाल के सन्धिकाल में भोजन न करें, दोपहर का भोजन अतिमात्रा में किया हो तो शाम को भोजन न करें। अपना जूठा किसी को न दें। दो भोजन के बीच में तीसरी बार भोजन न करें, भोजन के अन्त में जल न पियें और जूंठे हाथ व मुंह से कहीं बाहर न जाएं। एक ही प्रकार के रसवाले व्यंजन लगातार अधिक समय तक सेवन न करें । ६ जो कोई जो कुछ कहे, उसे सुन लो पर उसे जहां-तहां दोहराते मत फिरो । ७ कीचड़ ! तू मेरे पैर खराब मत करना, पथिक ने कहा । उत्तर मिला- मुझे छेड़ना मत । Jain Education International ८ किसी भी बात का जबाव चौबीस घण्टे से पहले मत देना, अन्तराल छोड़ देना और यह बड़े मजे की बात है कि कोई भी बुरा काम अन्तराल पर नहीं किया जा सकता, तत्काल ही किया जा सकता है क्योंकि अन्तराल में समझ आ जाती है, ख्याल आ जाता है । न करें ! For Private & Personal Use Only १८३ www.jainelibrary.org

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