Book Title: Yogakshema Sutra
Author(s): Niranjana Jain
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 207
________________ ४०. पूरे वर्ष भर दिन में एक प्रकार की मिठाई के सिवाय त्याग । ४१. सौंफ एवं धनिया के सिवाय तंबोल खाने का त्याग । ४२. प्रतिदिन १० मिनट 'सव्व साहणं' का शक्तिकेन्द्र पर नीले रंग में जाप। ४३. सप्ताह में पांच दिन स्नान में एक लोटा पानी का प्रयोग । ४४. योगक्षेम वर्ष में प्रतिदिन 'ग्रह-निवारक-मंत्र' की एक माला फेरना। ४५. प्रत्येक महिने की दोनों तेरस को अन्नाहार-प्रत्याख्यान तथा खड़े-खड़े 'ॐ भिक्षु' की २१ माला। ४६. प्रवचन में स्थित होने के साथ ही नौ नवकार मंत्र का पूरक, कुंभक एवं रेचन के साथ अभ्यास । ४७. पूरे वर्ष में नये वस्त्र न खरीदना, पहनना और सिलवाना । ४८. 'कोदर तपसी..... भिक्खु शिष्य बड़वीर'-६ बार सविधि उच्चारण के साथ प्रतिदिन गमन । ४६. योगक्षेम वर्ष में व्याख्यान से पूर्व १० मिनट ध्यान के साप्ताहिक-प्रयोग। ५०. योगक्षेम वर्ष में परदेस-गमन नहीं करना। ५१. विशेष अवसर पर कहीं भोजन करने नहीं जाना। ५२. प्रातः उठते ही एक घण्टा मौन करना। जप-प्रयोग ५३. 'उवसग्गहर-स्तोत्र' का सविधि जाप। ५४. सावन-भादवा में खड़े-खड़े दो माला 'ॐ भिक्षु' की। ५५. ॐ णमो पार्श्वनाथाय ह्रीं णमो' एक माला (७ दिन) ५६. ॐ णमो सयंसंबुद्धाणं ह्रौं भौं स्वाहा-एक माला (एक सप्ताह)। ५७. ॐ ह्रां ह्रीं ह्र ह्रौं ह्रः अ सि आ उ सा स्वाहा'-एक माला (७ दिन)। ५८. ॐ ह्रीं अहं श्रीं स्वाहा ॐ ह्रीं श्रीं णमो अरहताणं'-एक सप्ताह तक प्रतिदिन एक माला। ५६. ॐ णमो सव्वन्नूणं सव्वदरिसीणं मम नाणाइसयं कुरु ह्रीं नमः-७ दिन तक जप । योगक्षेम-सूत्र १९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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