Book Title: Yogakshema Sutra
Author(s): Niranjana Jain
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 203
________________ उसे पाने का दृढ़ निश्चय करो और अपनी चित्तधारा को उसी में नियोजित कर दो । निश्चित ही तुम एक दिन वैसे बन जाओगे । ११ संकल्प सिद्धि के लिए सतत् - जागरूक प्रयत्न अपेक्षित है । क्योंकि लापरवाही आत्मा का वह जंग है जो दृढ़ से दृढ़ संकल्प को भी क्षार-क्षार कर देता है । १२ जिसकी दिनचर्या, निशाचर्या और ऋतुचर्या सम्यक्, नियमित और व्यवस्थित होती है वह सामान्यतः बीमार नहीं हो सकता है और जिनकी चर्या संयमित व्यवस्थित नहीं होती, उसे अस्वस्थ होने से कोई बचा भी नहीं सकता । १८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only योगक्षेम-सूत्र www.jainelibrary.org

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