Book Title: Yogakshema Sutra
Author(s): Niranjana Jain
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 201
________________ ६ किसी के साथ बोलने से सामने वाले को कष्ट हो तो स्वयं चलाकर न बोलें। १० दूसरों के साथ तुलना करना छोड़ दें-यह अहं व हीनता की जनक है। ११ नकलची न बनें हमें जो बनना है, जो करना है, करें। १२ दूसरे के अधिकार का अपहरण करके यश प्राप्त करने की इच्छा मत करो, जिसका अधिकार हो उसे वह सौपकर यश के भागी बनो। १८४ योगक्षेम-सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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