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१० मनुष्य वही है जो सहसा किसी बात को सुनकर निर्णय न
देने लगे। ११ उतावली, आवेश, हड़बड़ाहट, चिन्ता एवं भावुकता के उतार
चढ़ाव मनुष्य को अत्यधिक थका देते हैं। १२ जितनी बड़ी सांसारिक या आध्यात्मिक उपलब्धियां होती
हैं, गंभीर काम होते हैं वे अंधेरे में होते हैं। इसलिए साधक को कभी-कभी गहन अंधकार में रहने का अभ्यास करना
चाहिये, उस लीनता में डुबना चाहिये ।। १३ जीवन की पहचान बड़े-बड़े कृत्यों में नहीं, छोटे-छोटे कृत्यों में
छिपी है।
गहराई विजय है, उथलाई हार है
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