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ज्ञान-कण
१ उद्यमी पुरुषों के हाथ में समस्त कल्याण सदा रहते हैं। २ हृदय की इच्छाएं कुछ भी पाकर शांत नहीं होती हैं, क्यों?
क्योंकि हृदय तो परमात्मा को पाने के लिए बना है । ३ मनुष्य में आत्मध्वंस और आत्मसजन दोनों की ही शक्तियां हैं। वह अपना विनाश और विकास दोनों ही कर सकता है। ४ जीवन की बहुमूल्य वस्तुएं आपकी प्रतीक्षा में हैं, उन्हें पाने
को प्रयास तो कीजिए। ५ कितनी ही भीड़ हो जिन्दगी बिल्कूल सूनसान है। ६ कष्ट सहे बिना जो मार्ग मिलता है वह कष्ट आ पड़ने पर
नष्ट हो जाता है। ७ आज की चिन्ता आज ही समाप्त कर दें। ८ बहत ही मुश्किल है कोई जीवन का सम्राट हो सके। ६ खुशी के प्रसंगों पर सावधान रहो।। १० पाप करना पाप है और उसे न समझना महापाप है। ११ वास्तविक अहिंसक वही है जो मारने की क्षमता रखते हुए
भी किसी को नहीं मारता । १२ जिसके मन, वाणी, कर्म में एकत्व है, वही महात्मा है । १३ संकल्प बहुत बार मनुष्य को गिरते-गिरते बचा लेता है। १४ आनन्द परिग्रह को बढ़ाने से नहीं, दिल को बढ़ाने से बढ़ता
१५ वह कैसा विचक्षण है जो पारसमणि को ठुकरा रहा है। १६ प्रियता और अप्रियता के जाल में फंसे हो, फिर तटस्थ
कैसे? १७ आत्म-प्रशंसा करना अपनी अच्छाइयों के प्रति औरों को
उदासीन बनाना है।
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योगक्षेम-सूत्र
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