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खाली दिमाग शैतान का नहीं,
भगवान् का घर होता है
१ भगवान् को चाहते हो तो स्वयं से खाली हो जाओ। जो स्वयं से भरा है, वही भगवान् से खाली है और जो स्वयं से खाली हो जाता है, वह पाता है कि वह सदा से ही भगवान् से भरा हुआ था। २ भगवान् को पाने को कुछ करना नहीं है वरन सब करना
छोड़कर देखना है। चित्त जब शांत होता है और देखता है तो द्वार मिल जाता है। ३ विचार को छोड़ो और निर्विचार हो रहो तो तुम जहां हो,
प्रभु का आगमन वहीं हो जाता है। ४ अवकाश के समय हम कभी-कभी मस्तिष्क की सतह पर तैरते विचार को देखें, सम्भव है देखते-देखते निविचार हो जाएं। निर्विचार में स्वास्थ्य, सौन्दर्य और शक्ति तीनों का
अधिवास है। ५ दिमाग से जितना कम काम लिया जायेगा, वह उतना ही
जल्दी और तेजी से बेकार हो जाएगा। ६ मौनावस्था में बड़ी-बड़ी कल्पनाएं मूर्त रूप प्राप्त करती हैं
और फिर बाहर प्रकट होकर हमें अपार आनंद का भागी बनाती एवं हमारे जीवन की पतवार बनती है। ७ मस्तिष्क को संपूर्ण रूप से जागृत करने और उसकी क्षमताओं का समग्र लाभ उठाने के लिए यह आवश्यक है कि यथासम्भव उसे निश्चित, निर्भार, हल्का-फुल्का एवं स्थिर
बनाएं। ८ वह मौनावस्था ही होती है जब हम दुनियां के सारे बंधनों से छूटकर अपने प्रभु से अपने सम्बन्ध की प्रतीति कर
योगक्षेम-सूत्र
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