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किससे क्या सीखें
१ अग्नि तेजस्वी है। तेज और प्रकाश उसका गुण और धर्म है। व्यक्ति को चाहिए कि वह प्रकाशत्व और तेजस्विता अग्नि से ग्रहण करे। २ पृथ्वी ने सहने और चुप रहने को कहा, सूर्य ने तपने का
वरदान दिया एवं फलों ने कांटों में हंसना सिखाया। ३ सूर्य और चन्द्र से क्रमश: तेजस्विता और शीतलता को ग्रहण
करें साथ ही कर्तव्य में नियमितता का पाठ सीखें । ४ सागर और सरिता से गंभीरता और जीवन का कण-कण
लुटा देने का स्वभाव ग्रहण करें। ५ इन्द्रध्वज और सेना से प्रेरणा और पुरुषार्थ पायें और नये मेघ से क्षणिक आभा और परहित में सम्पत्ति व्यय करने की
प्रेरणा पायें। ६ कार्य सिद्धि के लिए-मिन्नी री चाल जावणो, कुत्ते री चाल
आवणो। ७ शरीर इसलिए मिला है कि उससे आदर्शवादी कार्य कराए
जाएं। ८ मन इसलिए मिला है कि जीवनोद्देश्य को पूरा करने की
योजनाएं बनाएं और अवरोधों की गुत्थियां सुलझायें। ६ परिवार इसलिए मिला है कि सद्भावनाओं और सत्प्रवृत्तियों
को सुविकसित करने, अपने आन्तरिक परिपुष्टता के लिए इस
प्रयोगशाला में अभ्यास करें। १. 'वृक्षन की मत लें'-वृक्ष तपता है और हमको शीतलता देता
११ अहिंसा-महात्मा गांधी। शान्ति सीखें-नेहरू से। क्षमा
सीखें-महावीर से । अणव्रत-जीने की राह-आचार्य तुलसी से।
न्याय-राजा विक्रम का। वीरता-अभिमन्यू की। संगीतकिससे क्या सीमें
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