________________
से, इतने संगीतों से। लेकिन उस सबको देखने की क्षमता और पात्रता चाहिये । उस सबको देखने की आंखें, सुनने के
कान, स्पर्श करने वाले हाथ चाहिए। १० जब भी आपको ऊंचा उठने की प्रेरणा आपके अन्दर से मिले
तो उन क्षणों को व्यर्थ न खो दो। अपने अंदर उमड़े शक्ति के समन्दर को उफनने दो। ज्वार को उठने दो। जीवन बदल
जाएगा। ११ हम नवीन से नवीनतर और उत्कृष्ट से उत्कृष्टतर जीवन की
ओर बढ़ते रहें।
१०२
योगक्षेम-सूत्र
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org