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लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूर
१ ऊंचा उठना हल्केपन पर निर्भर है। भारी तो नीचे हो
गिरेगा। २ हल्कापन-सौमनस्य पानी की तरह बरसता है, बहता है और सर्वत्र शीतलता, हरितमा एवं तृप्ति की परिस्थितियां विनिर्मित करता है। ३ ईश बड़े-बड़े साम्राज्यों से विमुख हो जाता है किन्तु छोटे
छोटे पुष्पों से कभी खिन्न नहीं होता। ४ छोटा बच्चा हुए बिना कोई उपलब्धि नहीं है। ५ आदमी जितना महान् होता है, उतना ही उसका अभिमान छोटा होता है । जो जितना छोटा होता है, उसका अहं उतना
ही बड़ा होता है। ६ जिसके मस्तिष्क में अभिमान भरा है, कभी मत सोचो कि
वह सत्य को सुन सकेगा। ७ जिसने अहंकार का बोझ उतारकर नम्रता एवं विनयशीलता
का शिष्ट हल्कापन धारण कर लिया समझना चाहिये उसने महानता प्राप्त करने का मर्म समझ लिया। ८ हमारा अंतर अंतरिक्ष है वहां निर्भार होकर जाना होगा। ९ विनम्रता जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। १० जब तक हृदय में सरलता और पवित्रता नहीं आती तब तक
साधना जलधारा पर चित्र का आलेखन है। ११ भगवान् को पाने को कुछ करना नहीं है, वरन् सब करना
छोड़कर देखना है । चित्त जब शान्त होता है और देखता है
तो द्वार मिल जाता है। लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूर
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