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१० दूसरों को दिया गया धोखा अन्त में स्वयं को ही दिया गया
धोखा सिद्ध होता है। ११ सबसे ऊंचा आदर्श द्वेष से मुक्त होना है। १२ पाप पाप है चाहे वह किसी भी रूप में आये और वह हमारे
मन की पवित्रता को उसी प्रकार हर लेता है जैसे नदियों की उछलती हुई लहरें तट की हरियाली को।
योगम-सूत्र
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