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८ कहते हैं-"जिस समय अपना समय अच्छा नहीं होता उस समय बहुत शान्त, मौन रहना चाहिए अन्यथा बिना मतलब की आपदाएं पैदा हो जाती हैं। उस समय मौन, ध्यान, स्वाध्याय करने से बाधाएं टल जाती हैं।" ६ कहते हैं-"जिसका पृष्ठरज्जू दूषित होता है, उसका संतुलन बिगड़ जाता है । सीधे बैठने में कठिनाई होती है लेकिन उसमें बहुत हित छुपा हुआ है। पृष्ठरज्जू सीधा रहता है तो शारीरिक और मानसिक कठिनाईयों से बच जाते हैं। आयुर्वेद का चरक कहता है कि पानी पियो तो समकाय-सीधे रहो। टेढ़े होकर पानी मत पियो। किसी से बात करनी हो, रोटी खानी हो तो टेढ़े होकर मत करो, श्वास भी लेना हो तो सम रहो जिससे की सारा संतुलन बना रहे ।
योगक्षेम-सूत्र
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