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योग : स्वास्थ्य से समाधि का
सफर
मेरे प्रिय आत्मन्,
योग जीवन का चिराग़ है। एक ऐसा चिराग़ जिसके प्रकाश का सहारा लेकर अब तक अनगिनत लोगों ने अपने जीवन में स्वास्थ्य, शांति और समाधि की मंज़िलों को तय किया है। महर्षि पतंजलि,हज़ारों वर्ष पूर्व का एक ऐसा पवित्र नाम है जिसने जीवन और अध्यात्म की हर गहराई को समझा और एक मनोवैज्ञानिक तथा अध्यात्मविद् बनकर समस्त मानवजाति के समक्ष योग का विज्ञान स्थापित किया। धर्म और अध्यात्म का व्यवस्थित मार्ग देने के लिए प्रयास तो अनेकानेक महापुरुषों ने किया, लेकिन पतंजलि का विज्ञान सबसे हटकर है, सबसे ऊपर है। उन्होंने आम आदमी के आध्यात्मिक विकास के लिए जितना सुव्यवस्थित मार्ग दिया, शायद हजारों वर्षों के बाद भी वैसा सुव्यवस्थित योग का विज्ञान देने में अन्य किसी ऋषिमहर्षि को सफलता नहीं मिली। हाँ, किसी ने ऐसा करने का प्रयास भी किया तो कहीं-न-कहीं उसमें पतंजलि का प्रभाव स्पष्टतया अनुभव किया जा सकता है।
ध्यान और साधना-मार्ग के विशिष्ट प्ररूपक और अनुभवी आत्मज्ञानी महापुरुषों में भगवान महावीर और भगवान बुद्ध दोनों का नाम आता है जिन्होंने
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