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विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम. ॥ पंडितश्रीवीरविजयजीकृत श्रीशत्रुंजयमहिमागति नवाणुंप्रकारी पूजा प्रारंभः ॥
॥ तत्र ॥
॥ प्रथम पूजा ॥ ॥ दोहा ॥
॥ श्रीशंखेश्वर पासजी, प्रणमी शुज गुरु पाय ॥ विमलाचल गुण गाइशुं समरी शारद माय ॥ १ ॥ प्राये ए गिरिशाश्वतो, महिमानो नहीं पार ॥ प्रथम जिणंद समोसा, पूर्व नवाएं वार ॥ २ ॥ अढीय द्वीपमा एसमो, तीर्थ नहीं फलदाय ॥ कलियुग कल्पतरु वमो, मुक्ताफलशुं वधाय ॥ ३ ॥ यात्रा नवाएं जे करे, उत्कृष्ट परिणाम || पूजा नवाएं प्रकारनी, रचतां अविचल धाम ॥ ४ ॥ नव कलशे श्रनिषेक नव, एम एकादश वार || पूजा दीव श्रीफल प्रमुख, एम नवाएं प्रकार ॥ ५ ॥
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॥ पूजा ॥ ढाल ॥ कुंबखमानी देशी ॥ ॥ यात्रा नवाएं करीए सलूणा, करीए पंच सनात ॥ सुनंदाको कांत नमो ॥ गणणुं लख नवकार गणजे, दोयम बह सात ॥ सु० ॥ १ ॥ रथयात्रा प्रदक्षिणा दीजे, पूजा नवाएं प्रकार ॥ सु०॥
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