________________
श्रीश्रावकगुणोपरि एकवीशप्रकारी पूजा. ४२३ तास फल सुकृतथी सकल प्राणी, लहो ज्ञान उद्योत घन शिवनिशानी ॥ ० ॥
॥ दोहा ॥
॥ गवीश श्रावकगुणवने, पूजा पुष्कर मेद | सुर नर सुख फूले फले, शिवसुख लहे अवेह ॥ ११ ॥
॥ इति पंक्ति श्रीदेवचंदजीकृता श्रावकगुणोपरि एकवीशप्रकारी पूजा संपूर्णा ॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org