Book Title: Vividh Puja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
श्रीसत्तरनेदी पूजाध्यापन विधि. ४६३ उज्ज्वल रूपा प्रमुखनी रकेबीमां कुंकुम तथा केशर विगेरेनो स्वस्तिक करे. पड़ी सुंदर कलश, केशर प्रमुख मिश्रित शुम जले नरी, स्थापनानो रूपैयो कलशमां नाखे. कलश रकेबीमा राखी, पडी स्नात्रीया मुखकोश उत्तरासंगथी करीत्रण नवकार गणी नमस्कार करे; दाणे धूप द रकेबी हाथमां धारण करे, मन स्थिर राखे, डीक वर्जन करे.स्नात्रीया प्रजुजी सन्मुख उन्ना रहे. पंचामृतनो कलश अमग राखे, मुख थकी पहेली पूजानो पाठ जणे, ते नणीने पड़ी प्रजुने पंचामृतनुं न्हवण करे तथा प्रजुनी माबी बाजुने अंगुठे जलधारा आपे.
२ पड़ी सुंदर सूक्ष्म अंगलूहणे जिनबिंब प्रमार्जी केशर, चंदन, मृगमद, अगर, कर्पूरादिकथी कचोली जरी हाथमां लश् उनो रहीने मुख थकी बीजी पूजानो पाठ जणे. ते जणीने विलेपन करी नव अंगे पूजन करे. .. ३ पनी अत्यंत सुकोमल सुगंधित अमूलक वस्त्रयुग्म उपर केशरनो स्वस्तिक करी, प्रजुजी आगल उनो रही, मुख थकी त्रीजी पूजानो पाठ नणे. ते जणीने प्रजुजी आगल वस्त्रयुग्म चढावे.
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512