Book Title: Vividh Puja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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श्रीमहावीरजन्मानिषेक. ४३ कुरुते नित्योत्सवामुन्नतिं ॥२॥अहो जव्याः ! शृणुत तावत्सकलकलाकलापकौतूहल चित्तवृत्तयः ! कंचनापि सहृदयहृदयवशीकरणलालसं प्राप्तावसरमेघश्रीमन्महावीरजन्मानिषेककलशम् ॥ ३॥
॥ बंद ॥ आराम मंदिर वावि सुंदर तुंग तोरण रम्म, पायार जिणहर कुव सरवर सग्ग जिणवाखम्म ॥ तिहिं कुंडल जलकति नेउर खलकति हार लहकति नार, तिहिं दिसति गजगति बोरियावमि रयण कंचन फार ॥४॥तिहिं तुरय मयगल रथ हि मंमित, इसि अ ते गम ॥ तिहिं अतिमणोहर सतूय कारिहिं, खित्तियकुंमह गाम ॥ तिहिं राउथ उति गुणिहिं रंजित,तिसल देविहिं कंत॥सिब नामिहिं नयरगामिहिं, समृसुंदर संत ॥५॥ ता थासाढ मासह नवित्र श्रासह,सुकिल बनिहिं वीर ॥ अवश्न सामिल तिसल दे विहिं, उयर अति गंजीर ॥ता चित्तमासह सुकिल तेरसि,जनम दू देवता देव दाणव राय राणा, जास करशे सेव॥६॥ बंद ॥ताथिर थिरर कंपश् श्रासणं सुरींदे, करे कोवनरी नरी, करिहिं कुलिसं दृगंदे ॥ त उहिनाणेण जाणे जम्म, परं हरिस नरी नरी अरिरी थरिश्रम्मं ॥७॥ त घंट
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