________________ 504 विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. // श्री जिनपूजन स्तवन // ( चाल नाटक धन धन वो जगमें ) ॥धन धन वो जगमें नर नार, पूजा करन करानेवाले // अंग // रायपसेणी सूत्र मकार, पूजा वरनी सतरां प्रकार // सूर्याज देवता करणहार, श्री गणधर फरमानेवाले // धन // 1 // जीवानिगम सूत्र है सार, विजय देवताका अधिकार // शाश्वत जिनमंदिर विस्तार, जैन सिद्धांत बतानेवाले ॥धन // 2 // आनंद सातमें अंग विचार, झाता जबाइ जगवती धार // प्रौपदी अरु अंबम धनगार, ये सब मोदके जानेवाले // धन // 3 // इत्यादि जैन शास्त्र रसाल, जिनप्रतिमाका वर्णन जाल // पूजा करे तुम दीनदयाल, है मुक्तिफल पानेवाले // धन // 4 // आतम आनंदरसमें लीन, कारण कारज समऊ यकीन // वक्षन प्रजुके है आधीन, प्रजुको शीस नमानेवाले ॥धन // 5 // ॥इति श्री विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम समाप्त // Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org