Book Title: Vividh Puja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 494
________________ ४८६ विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम. थिर थपि ॥ १७ ॥ ता वादीय देवसूरि पाय पण मयि न पुन देवसूरिं ॥ ता बंदि आगमि तक्कि सुंदर सुगुरु रामचंद सूरिं ॥ ता जयन मंगलसूरि बुल्ल महावीर अनिसेल, ता कण्य कलसेडिं न्हव जविया एहज पुन देउ ॥ १७ ॥ इति श्रीमहावीरजन्माजिषेककलशः संपूर्णः ॥ ॥ अथ दादासादेबकी पूजा ॥ ॥ अथ पहली थापना स्थापन करके श्रावाहनका श्लोक पढे ॥ सकलगुणगरिष्ठान् सत्तपो निर्वरिष्टान् शमदमयमजुष्टांश्चारुचारित्र निष्ठान् । निखिलजगति पीठे दर्शितात्मप्रजावान् मुनिपकुशलसूरीन् स्थापयाम्यत्र पीठे ॥ १ ॥ ॐ श्री श्री जिनदत्त श्री जिनकुशल श्री जिनचन्द्रसूरिगुरो यत्रावतरावतर स्वाहा ॥ २ ॥ ॐ श्री श्री जिनदत्त अत्र तिष्ठ २ ठः ठः ठः स्वाहा इति प्रतिष्ठापनम् ॥ ॐ कूँ श्री श्री जिनदत्तसूरिगुरो अत्र मम संनिहितो जव वषट् इति संनिधि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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