Book Title: Vividh Puja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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४५६ विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम खस्तिक करी तेमां पंचामृत जरी, श्रदतोना ढगला उपर धारण करी, तेनी उपर अगलूदणां ढांकी धूप उखेवी, तेमांना मात्र बेज कलशोने आसपास जलधारा दश्ने राख्या होय. पली स्नात्रीयाना हाथमां खस्तिको करी सर्वे जणोए श्रेणिबक उन्ना रहेवं, अने प्रत्येक स्नात्रीयाए खमासमण दक्ष पंचांग नमस्कार करवो. पठी प्रत्येक स्नात्रीयाए पोताना बे दायमां कलशो लेवा. ते कलशधारक स्नात्रीयाए पोताना बन्ने हाथने विषेरहेला कलशने उत्तरासंग वस्त्रवडे ढांकी राखवा अने पोते उन्ना उतां मुखथी "श्रीतीर्थपतिनो कलश मजान” श्हांधी मामीने संपूर्ण पूजा जणवी. त्यारपती प्रतिमाजी उपर कलशो ढोली, पखाल करी, अंगलूदणांथी मऊन करी, केशर चंदनथी अर्चन करीने फूल चढाववां. पडी थालमां खस्तिक करी बिंबनी स्थापना करवी अने धूप करवो. ते समये था प्रमाणे पाठ जणवोः
॥अथ कलश ढालवा समयनुं स्तवन ॥ . ॥ इंजकलशनर ढाले श्रीजिन पर ॥ कलश०॥ हाथो हाथ अमरगण आनत, खीर विमल जलधारे॥ श्रीजिन पर ॥ १॥ सुरवनिता मली मंगल गावे,
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