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३ए विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. ॥ ढाल १ ली ॥ राग वसंतनी काफी ॥ वीरजमें खेले नंदके शामरो, पीतांबर उनका राय॥ए चाल॥
॥ सरवथी बेदी विषय विष जालने, रमे निकामी निस्संग ॥ स० ॥ वचनरसे नवताप शमावता, श्रातम साधन रंग ॥ स० ॥१॥ शुरू स्वरूप निज रमण सनातन, निर्मम निर्मद चंग ॥ सम्॥ ध्यानमें थिर आसन काउस्सग्गमें, नित्य तप तेज सुरंग ॥ स ॥ कर्मने जीते बीपे नवि परपणे, करुणा कर नमे रंग ॥ स ॥२॥
॥ ढाल २ जी॥राग फीकोटी ॥ ॥पानी केसे जालं रे, में पानी केसे जालं॥ए चाल॥ ॥मुनिपद एसेध्या रे,में मुनिपद एसे ध्याउं॥पूजी पावन थालं रे॥ में मु०॥ जेम तरुफुले नमरो बेसे, न करे बाध लगार रे॥जरा जरारसे आतम तोषे,गोचरी करे अणगार रे॥में मु०॥१॥जिय पांचे निज वश राखे,बकाय जीव रक्षकार रे॥संजम सत्तर नेदे पाले, करुणारस नंमार रे॥में मुणाशसहस अढार शीलांगरथ धोरी, अचल आचार व्यवहार रे॥मुनि महंत जतनाए वंदो, करो सफल अवतार रे ॥में मु॥३॥ नव वाडे शुरु ब्रह्मवत्त पाले, तप तपे बार प्रकार रे ॥
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