________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatrth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उत्तराध्य
विद्यमान छ तेथी आ टाणे संशयनो अभाव होवाथी पमाद त्यजी देवो, आगळ उपर तो मारा विरह टाणे एवाज भावी भव्य जीवो यशे के जे एम अनुमान प्रमाणथी विचारी नैयायिक मार्ग-साधुधर्ममां तथा मारे विषये पण स्थिर थशे. तेओ केवु अनु
भाषांतर यनसूत्रम्
IAS अध्य०१० ॥६१३॥
मान करी अप्रमादी बनी स्थिर यशे? ते कहे छ-मुक्तिनगर प्रति जाणे मार्गज देशित कर्यो होय नहि. तेवो आ जीवदयाधर्म मुक्तिमार्ग जेवो कहेलो देखाय छे आजे ए जिन तो नथी देखाता तथापि मार्ग उपष्टि दीसे छे, केवो मार्ग? बहुमत, घणानो मानेलो, । ॥६१३॥ | अथवा जेमा घणा मत=नय आवेला छे जेवा के नैगम, संहन, व्यवहार, ऋजु; मूत्र; शब्द, समभिरूढ, इत्यादि सप्तनयात्मक ज्ञान
दर्शनचारित्र एज मोक्षमार्ग. अपरमतमा एकांत वादिपणुं होय छे तेथी आ जैनमत तो बहुमत छे. आवा प्रकारनो ए मुक्तिमार्ग | P- अतींद्रिय अर्थनादर्शी तथा केवळी जिन विना निरुपणा न थाय; माटे आ बहुमत मुक्तिमार्ग छे एम भव्य जीवो कदि जाणशे के DE] आ मुक्तिमार्ग छे पण जिन नथी त्यारे ए मार्गनो कोइ वक्ता तो हतोज; अने ते बक्ता पण कोइ सामान्य जन तो नहीं किंतु
| आवा धर्मनो उपदेष्टा कोइ आप्त जिनज होवा योग्य छे, एम मारा असांनिध्यमां पण अपमादी थशे. हमणां तो हुँ केवळी हाजर | होवाथी ए नैयायिक मार्गे सर्वथा प्रमाद त्यजीज देवो. नैयायिक एटले जेभी निश्चित आय लाभ रह्यो छे तेवो; अर्थात् ज्ञानदर्शन | चारित्ररूप रत्नत्रयात्मक, ए मोक्षमार्ग उपदेशेलो छे. आ गाथानो आम पण अर्थ छे-हे गौतम! आजे तमे केवळी जिन नथी देखाता 'दृश्यते' ए क्रियापदना बळथी 'भगवान्'='तमे' ए पद कहेल नथी तो पण अध्याहारथी लेवाय छे. परंतु बहुए मान्य करी जाणेलो | JE अर्थात् अति प्रसिद्ध मार्ग=जिनत्वभवना मार्ग तुल्य में तमने देशित उपदिष्ट करेलो ए मार्ग तो तमे जोयोज छे, ते माटे हवे हुँ जिन संनिहितज होवाथी में कहेला ए मार्गमा समयमात्र पण प्रमाद मा करो. हुं विद्यमान छु त्यां सुधी मारामां मोह होचायी तमे
Fer Private and Personal Use Only