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उत्तराध्ययनसूत्रम्
भाषांतर अध्य०१४
निवेदन.
॥८५९॥
॥८५९॥
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उत्तराध्ययनसूत्र प्रथम चार भागमा प्रसिद्ध करवानुं जाहेर करेल, परंतु मूल, मूलार्थ टीका अने भाषान्तर विगेरे विस्तारथी दाखल करवामां आवर्ता ग्रन्थनो विस्तार वधी जतां पांच भागमा प्रसिद्ध थशे छतां किंमतमां कांड वधारो कर्यो नथी.
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पं० हीरालाल हंसराज
श्री जैनभास्करोदय प्रेसमांमेनेजर-बालचंद हीरालाले छाप्यु-जामनगर.
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