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च लोकापवादो न भवति? दीर्घनृपेणोक्तं सांप्रतमस्य विवाहः क्रियते, पश्चात्सर्वमावयोचिंतितं भविष्यति, ततस्ताभ्यां उत्तराध्य
ब्रह्मदत्तस्य मित्रस्य कस्यचिद्राज्ञः कन्यायाः पाणिग्रहणं कारितं, तयोः शयनार्थमनेकस्तंभशतसन्निविष्टं गूढनिर्गन- Bभाषांतर पनसूत्रम् JE द्वारं जतुगृहं कारितं.
अध्य०१३ ॥७२॥
। ब्रह्मदत्तकुमार मातानुं दुश्चरित्र सहन न थवाथी एक वखते कागडो तथा कोयल आ बेतुं जोडुं शूलना अग्र उपर परोवीने ॥७२५॥
माता तथा दीर्घराजाने बताव्यु अने कह्यु के-'जे कोइ आधु आचरण करशे तेनो हुँ निग्रह करीश,' आटलं बोली कुमार बहार Ka गयो. आवां वे त्रण दृष्टांतो वडे ऋण दिवस सुधी तेणे ए प्रमाणे कयु अने कह्यु ते उपरथी दीर्घ राजाए शंकित बनी चूलनीने र | कयु के-'आपण बन्नेनुं स्वरूप कुमारे जाण्यु छे, हुं कागडो अने तुं कोयल ए दृष्टांत कुमारे जणाव्यो.' चुलनी बोली के-'ए
वाळक तो जेम तेम बोले बके. आ बाबतमां कंइ शंका करवानी नथी.' त्यारे घृत-निर्लज-दीर्घराजा बोल्यो के-'तुं तारा पुत्रना DE BE वात्सल्यने लीधे पोतानुं कंइ पण हित नथी जाणी शकतो. आ कुमार अवश्य आपण बन्नेमां विघ्न करनार होवाथी ए अवश्य Filमरावी नाखवा योग्य छे. हुं तारे आधीन छ तो पुत्रो घणाय थइ रहेशे.' आ प्रमाणे दीर्घ नृपर्नु वचन ते राणीए अंगीकार कयु.
कयु छ के-महिला स्त्री आळतुं कुळ घर छे, महिला लोकमां दुश्चरितनुं क्षेत्र छे, महिला दुर्गतिनुं द्वार छ भने महिला सर्व अनभानुं जन्म स्थान छे. १ ए भर्ताने मारे, सुतने हणे, अर्थनो प्रणाश करे, रागातुर पापा महिला पोताना घरने पण परजाळे. २
चुलनी बोली के ए पुत्रने केम मारवा? अने लोकापवाद केम न थाय? त्यारे दीर्घतृपे कयु के-'इमणां तो तेना विवाह करीये पछी || | आपणुं धारेलु वधुं यइ रहेशे.' ते पछी ए चुलनी तथा दीर्घराजा बन्नेये मली कोइ मित्र राजानी कन्या साथे ब्रह्मदत्तना विवाह
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