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तुलसी शब्द-कोश
रामचरितमानस बर ।' मा० १.३५.११-१२ ( मानस सरोवर की तुलना का लम्बा रूपक है । मा० १.३५-४३) ।
रामचरित्र मानस : रामचरितमानस । मा० ७.१३० श्लो० २ रामघाम, पद : (१) रामचन्द्र का आवास गृह । 'रामधाम सिख देन पठाए ।' मा०
२. ६.१ (२) साकेत लोक = राम ब्रह्म से सायुज्य की दशा जिसमें जीव सदा अपने को रामाकार हुआ (मुक्त) अनुभव करता है । गी० ३.१७.८
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रामपद : रामधाम । जीव-ब्रह्म की सायुज्यदशा । मा० १.४४.१ रामबनु : रामबन + क० | चित्रकूट का वनविशेष जहाँ राम रहे थे । मा०
२.१३८.३
रामबोला : वि० + सं०पु० । (१) 'राम' का उच्चारण (२) गोस्वामी जी का नाम । 'राम- बोला नाम हीं गुलाम राम कवि० ७.१००
करने वाला ।
साहि को ।'
राम भगति : (दे० भगति ) । रामाकार चित्तवृत्ति से राम की उपासना जो दास्यरूप में मुख्य होती है । मा० १.४०.१
रामभद्र : रामचन्द्र । कल्याणगुण सम्पन्न राम । विन० १५०.१
राम मंत्र : 'राम' शब्दरूप द्वयक्षर मन्त्र । मा० ७.११३.६
राममय: वि०पु० (सं० ) । रामरूप तथा राम से व्याप्त (ब्रह्म-राम अंशी हैं और जड़-चेतन विश्व उनका अंश है अतः समस्त प्रपञ्च राम का ही रूपावतार है; अन्तर्यामी रूप से राम सब में व्याप्त भी हैं) । 'जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि ।' मा० १.७ ग
रामा : (१) राम । मा० १.१६८.६ (२) सं० स्त्री० (सं० ) । सुन्दरी, स्त्री । 'रामासि वामासि वर बुद्धि वानी ।' विन० १५.३ ( ३ ) लक्ष्मी, सीता । 'रामा रमन रावनारी ।' विन० ५५.२ रामाकार : द्रवीभूत चित्त की दशा जो राममय हो जाती है, जागतिक विषयों के स्थान पर चित्त में राम का आकार प्रविष्ट हो जाता है । राममय । 'रामाकार भए तिन्ह के मन | मुक्त भए छूटे भवबंधन ।' मा० ६.११४७
रामास्य : राम नाम वाला (आख्या = नाम ) । मा० ५ श्लो० १ रामानुज : राम के अनुज = लक्ष्मण । मा० ४.२०
रामायण : सं०पु० (सं० ) । आदि कवि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य । मा० ७. १३० श्लो० १
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रामायन : रामायण । ( १ ) आदिकाव्य । 'बंदउँ मुनिपद कंज रामायन जेहि निरमयउ ।' मा० १.१४ (२) रामकथा, रामचरित । रामायन सतकोटि अपारा।' मा० १.३३.६