Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books

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Page 577
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1122 तुलसी शब्द-कोश सौंपोसि : आ०-भूकृ.पु. +प्रए । उसने समर्पित किया। 'सौंपोसि मोहि तुम्हहि गहि पानी ।' मा० ६.६१.१५ सौंपेहु : (१) आ० - भूकृ००+मब० । तुमने समर्पित किया। 'तात न रामहि सौंपेहु मोही।' मा० २.१६०.५ (२) भ०+आज्ञा+मब० । तुम समर्पित करना । 'सौंपेहु राजु राम के आएँ।' मा० २.१७५८ सौंप्यो : भूकृपु०कए । समर्पित किया । गी० १.१०६.४ सौंह : सं०स्त्री० (सं० शपथ>प्रा० सवह) । कसम, सौगन्द । 'मार खोज ले सौंह करि'।' दो० ४०६ सौंहें : सौंह+ब० । कसमें । 'कहत हों सौहें किए।' मा० २.२०१ छं० सौंहौं : क्रि०वि० (सं० संमुखम्>प्रा० संमुहं । सामने । 'तोहि लाज न गाल बजावत सौंहौं ।' कवि० ६.१३ सौ : संख्या (सं० शतम>प्रा० स>अ० सउ) । पांचहि मारि न सो सके।' दो० ४२८ सौंदर्ज : सौंदर्य । मा० १.३२७.८ । सौंदर्य : सं०० (सं०) । सुन्दरता, रमणीचता, कमनीयता । विन० ६१.६ सौगुन : सयगुन । जा०म०छं० ५ सौगुनी : वि०स्त्री० (सं० शतगुणा) । गी० २.५७.३ सौच : सं०पु० (सं० शौच) । स्नानपूर्व दैनिक कृत्य (दन्तमज्जन आदि) । मा० २.६४.३ सौति : सवति । कवि० २.३ सौतुक, ख : सं०+वि.पु । प्रत्यक्ष, यथार्थ । 'सपनो के सौतुक, सुख सस सुर सींचत देत निराइ के ।' गी० ५.२८.६ 'देखौं सपन कि सौतुख ससिसेखार सहि।' पा०म०६६ सौदा : सं०० (तुर्की) । क्रय-विक्रय । 'सुहृद समाज दगाबाजिही को सौदा सूत ।' विन० २६४.२ सौध : सं०पु० (सं०) । (सुधा चूने से बना तथा पुता हुआ) विशाल भवन । मा० २.६६.३ सौभग : सं०० (सं०) । सुभगता, सौन्दर्य । मा० ३ श्लोक २ सौभागिनी : वि०स्त्री०ब० । सुहागिनें, सौभाग्य वतियां, सधवाएं, पतिवानियां । 'सौभागिनी बिभूषन हीना।' मा० ७.६६.५ सौभाग्य : सं० । (१) सोहाग (सुभगाया भावः सौभाग्यम्)। (२) (सं० सुभगस्य भावः सौभाग्यम) सौन्दर्य = सौभग । 'सकल सौभाग्य संयुक्त ।' विन. ६१.७ (३) (सं० सुभागस्य भावः सौभाग्यम् ) उत्तम भाग्यशीलता। 'निज सौभाग्य बहुत गिरि बरना।' मा० १.६६.८ For Private and Personal Use Only

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